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➤यांत्रिक तरंग ( Machanical wave )-
इन तरंगो को चलने के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है। ये निर्वात में नहीं चल सकती।
ये दो प्रकार के होते हैं-
1) अनुप्रस्थ तरंगे
2) अनुदैध्र्य तरंगे
1) अनुप्रस्थ तरंगे -
ये तरंगे शृंग (crest ) व गर्त (trough ) के रूप में आगे बढ़ती हैं।
तनी हुई डोरी, जल की सतह पर तथा विधुत चुंबकीय तरंगे अनुप्रस्थ होती हैं।
अनुप्रस्थ तरंगे ठोस तथा द्रव के सतह पर चल सकती हैं।
जैसे- सितार, गिटार, विणा, प्रकश आदि
→ तरंगदैध्र्य ( wavelength, λ )-
एक तरंग की लम्बाई को तरंगदैध्र्य कहते हैं।
दो क्रमागत शृंगो के बिच की दुरी को तरंगदैध्र्य कहते हैं।
दो क्रमागत गर्तो के बिच की दुरी को तरंगदैध्य्र कहते हैं।
नोट- एक शृंग और एक गर्त के बिच की दुरी तरंगदैध्र्य की आधी होती हैं।
2) अनुदैध्र्य तरंगे ( Longitudinal wave )-
इनमे तरंग के कंपन के दिशा गति के दिशा में ही होती हैं। ये संपीडन व बिरलन के सिद्धांत पर काम करता हैं।
जैसे- ध्वनि तरंग, खुला हुआ स्वर यंत( शहनाई, बासुरी, तबला, ढोल, हारमुनियम, बिना etc )
By Prashant



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