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➤सरल आवर्त गति(𝐒𝐇𝐌) -

  जब कोई वस्तु किसी के इधर-उधर अपने गति को दोहराय तो ऐसे गति को सरल आवर्त गति कहते है।  



प्रत्यानयन बल -  

सरल आवर्त गति करने के लिए आवश्यक बल प्रत्यानयन(restarting force) कहलाता है। 

निलम्बन बिंदु -  

SHM करने वाली वस्तु जिस स्थान से लटकी होती है उसे निलम्बन बिंदु कहते है।  
निलम्बन बिंदु से वस्तु के द्रव्यमान केंद्र के बिच की दुरी को लम्बाई कहते है।  

नोट -  SHM में विस्थापन त्वरण के समानुपाती होता है किन्तु दिशा विपरीत होती है।  

आयाम(amplitude)- 

मध्यमान स्थिति से अधिकतम विस्थापन को आयाम कहते है।
एक आवर्त पूरा करने के बाद वस्तु का विस्थापन शून्य रहता है किन्तु दुरी आयाम का चार गुणा हो जाता है।                   
 दुरी  = 4 ✖ आयाम 

SHM के दौरान अंतिम छोर अथार्त किनारे पर -

विस्थापन , त्वरण , बल , स्थितिज ऊर्जा = अधिकतम 
वेग गतिज ऊर्जा = शून्य 

SHM के दौरान मध्य बिंदु पर - 

विस्थापन , त्वरण , बल , स्थितिज ऊर्जा = शून्य 
वेग , गतिज ऊर्जा = अधिकतम 

आवर्त काल(time period)-

 एक आवर्त पूरा करने में लगाया गया समय आवर्त काल कहलाता है।  
यदि आवर्त काल बढ़ेगा तो वस्तु सुस्त हो जायगा।  
→आयाम के मान को बढ़ाने पर आवर्त काल भी बढ़ जाता है। इसी कारण लम्बा झूला चक्कर लगाने में अधिक समय लेता है।  
आवर्त काल (𝐓) = 2𝝿√𝞵𝙜

आवृति(frequency)- 

एक सेकेंड में दोलन या कम्पनों की संख्या आवृति कहलाती है।  

आवृति तथा आवर्तकाल में संबंध - 𝐓 =  1/𝐧 , जहां 𝐧 = आवृति, 𝐓 = आवर्तकाल 

लम्बाई बढ़ने पर आवर्तकाल बढ़ता है & घटने पर घट जाता है अथार्त लम्बाई & आवर्तकाल समानुपाती होता है।  

जैसे - खड़ा होकर झूला झूल रहा ब्यक्ति अगर बैठ जायगा तो द्रव्यमान केंद्र निचे हो जायगा &लम्बाई बढ़ने के कारण आवर्तकाल बढ़ जायगा।  
         
 बैठ कर झूलने वाला ब्यक्ति अगर खड़ा हो जायगा तो द्रव्यमान केंद्र ऊपर हो जायगा & लम्बाई घट जायगा जिसके कारण आवर्तकाल भी घट जायगा।  

→पेंडुलम(लोलक) वाली घड़ी की लम्बाई गर्मी के दिन में बढ़ जाती है जिस कारण द्रव्यमान केंद्र निचे चला जाता है & लम्बाई बढ़ जाता है & आवर्तकाल भी बढ़ जाता है जिस कारण घड़ी सुस्त हो जाती है।  
→g का मान तथा आवर्तकाल में व्युत्क्रमानुपाती सम्बन्ध होता है अथार्त g का मान बढ़ने से 𝐓 का मान घटेगा & g का मान घटने से 𝐓 का मान बढ़ेगा।  

जैसे - ध्रुव पर g का मान अधिक होता है जिस कारण वहां पेंडुलम घड़ी का आवर्तकाल बढ़ जाता है & वह तेज हो जायगा। 
     
 → विषवत रेखा पर g का मान बढ़ता है अतः पेण्डुलम का आवर्तकाल बढ़ जायगा & वह सुस्त(धीमा) हो जायगा 
    
 →  यदि g का मान शून्य हो जाये तो आवर्तकाल अनंत हो जायगा।  पृथ्वी के केंद्र पर , अंतरिक्ष में ,                उपग्रह के अंदर g का मान शून्य रहता है अथार्त इन तीनो जगह पर आवर्तकाल अनंत हो जायगा।  
   
 → सुरंग में या पहाड़ पर g का  मान बढ़ता है जिस कारण आवर्तकाल बढ़ जाता है और घड़ी सुस्त हो             जायगा। 

नोट - यदि लम्बाई को n गुणा परिवर्तन किया जाये तो आवर्तकाल √n गुणा होगा।  
        - यदि लम्बाई में X % की वृद्धि की जाये तो आवर्तकाल X/2 % का वृद्धि होगी।  

सेकेण्ड लोलक -

 वैसा लोलक जिसका आवर्तकाल 2 सेकेण्ड हो उसे सेकेण्ड लोलक कहते है।  

Spring में लटकी वस्तु द्वारा SHM - 

स्प्रिंग में लटकी वस्तु भी SHM करती है , स्प्रिंग अलग-अलग पदार्थ का बना होता है जिसका स्प्रिंग नियतांक(k) अलग-अलग होता है।  

कठोर पदार्थ का स्प्रिंग नियतांक अधिक होता है जबकि मुलायम पदार्थ का स्प्रिंग नियतांक कम होता है।                    
 𝑻 = 2𝝿√m/k   जहां , m = द्रव्यमान , k = स्प्रिंग नियतांक 

→यदि k का मान अधिक रहेगा तो 𝐓 का मान घट जाएगा और आवृति  बढ़ जाएगा।  

→यदि k का मान कम रहेगा तो 𝐓 का मान बढ़ जाएगा और आवृति घट जाएगा।  

→भारी वस्तु का द्रव्यमान अधिक होता है अतः उसका आवर्तकाल भी अधिक होगा & वह सुस्त घूमेगा।  

सरल आवर्त गति कर रही किसी लोलक का समीकरण -  𝒚 = 𝑨sin𝝎𝚝 
                                 
जहां, y = विस्थापन , 𝛚 = कोणीय वेग , 𝜜 = आयाम , t = समय 


By Prashant 


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