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केसिकत्व (capillary)-
जब बहुत पतली नली में द्रव भरा रहता हैं तो वह ऊपर चढ़ने लगता हैं, इसी गुण को केसिकत्व कहते हैं।
जैसे- बति में तेल का चढ़ना।
✔पारा का नली में ऊपर चढ़ना।
✔ स्याही का कागज पर फैल जाना।
✔ईट / मिटी के ऊपर दोरा जल सोख लेना।
✔ वर्षा के बाद भूमि द्वारा जल सोख लेना।
किन्तु वर्षा समाप्त होने के बाद पानी वापस निकलने लगता है जिस कारण किसान वर्षा के तुरंत बाद खेत जोट देता है ताकि केसिकत्व टूट जाय।
पेड़ द्वारा जल एव कनिज का अवशोसन किन्तु पेड़ में केसिकत्व के आतरिक जल सोखने के लिए जाइलम मात्र कारण केसिकत्व नहीं हैं।
किसीका नली में द्रव की ऊचाई,(H) = 2Tcos / rdg
जहां - H ऊचाई , r त्रिज्या , d घनत्व , gगुरुत्वीय त्वरण ,
यदि केसिका नली की त्रिज्या बढ़ाएंगे अथार्त मोटी नली लेंगे तो उसमे द्रव कम ऊंचाई पर चढ़ेगा।
g का मान तथा केसिका नली के ऊंचाई में उल्टा सम्बन्ध होता है , इसी कारण पहाड़ पर,सुरंग में, चन्द्रमा पर g का मान घटने से उचाई बढ़ जाती हैं।
अंतरिक्ष, किसी उपग्रह तथा पृथ्वी के केंद्र पर g शून्य होता है, जिस कारण केसिका नली में द्रव अनंत ऊचाई तक पहुंच जाएगा।
नवचन्द्रक -
जब केसिका नली में द्रव चढ़ता है तो इसका ऊपरी शिर्ष स्पॉट नहीं होता है बल्कि उठा या धासा रहता है जिसे नवचन्द्रक कहते हैं।
जल का नवचन्द्रक धासा रहता हैं अथार्त अवतल होता है, जब की पारा का नवचन्द्रक उठा रहता हैं अथार्त उत्तल होता हैं।
नोट- पारा का नवचन्द्रक उत्तल होने के कारण इसे ऊचाई पर चढ़ने पर आसानी होती हैं। यह तापमान पाने पर आसानी से प्रसारित होता हैं. इसका प्रयोग थर्मामीटर में करते है किन्तु ठंडे प्रदेशो में थर्मामीटर में एलकोहल भरा जाता हैं क्युकी वह जमता नहीं हैं।
By Prashant
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