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➤ ध्वनि तरंगे ( Sound wave )-
यह एक प्रकार का ऊर्जा है, जो कणो के कम्पन के कारण उत्पन्न होती हैं।
ध्वनि तरंगे हवा में अनुदैध्र्य होती हैं। द्रव के सतह पर अनुप्रस्थ हो जाती हैं।
द्रव तथा ठोस के अंदर अनुदैध्य हो जाती है किन्तु ठोस के ऊपर अनुप्रस्थ हो जाती हैं।
नोट- ध्वनि तरंगो के आंतरिक सभी तरंगे अनुप्रस्थ होती हैं।
→ आवृति के आधार पर ध्वनि का प्रकार -
1) अव-श्रव्य ( Infra-sonic )-
इसकी आवृति 20Hz से कम होती है। इन्हे मानव नहीं सुन सकता हैं किन्तु कुत्ता, बिल्ली, जैसे जानवर इसे सुन सकते है।
भूकंप से पहले यह तरंगे उत्पन्न होती हैं।
2) श्रव्य ( Audible sonic )-
इनकी आवृति 20Hz से 20000Hz तक होती है। इन्हे हम सुन सकते हैं।
3) परा-श्रव्य ( Ultra-sonic )-
इनकी आवृति 20000Hz से अधिक होती है। इन्हे हम नहीं सुन सकते हैं।
चमगादर अपनी आँख से 100000Hz आवृति वाली परा-श्रव्य ध्वनि उत्पन्न करता है और परावर्तन के सिद्धांत पर अपना मार्ग तैय करता है।
महगा कपड़ा तथा घड़ी की धुलाई में परा-श्रव्य ध्वनि तरंग का प्रयोग होता हैं।
परा-श्रव्य ध्वनि उत्पन्न करने के लिए दाब बिधुत प्रभाव ( पीजो इलेक्ट्रिक इफ़ेक्ट ) का प्रयोग करते हैं।
नोट- लाप्लाक्स के अनुसार ध्वनि की चाल 332 m/s होती हैं।
ध्वनि का प्रभाव हमारे कान पर 1➗ 10 sec. तक रहता हैं।
By Prashant
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