about convex mirror/use of convex mirror/magnification/from basic/for 10th/12th/ssc/railway/armay/other exam./ physics-59
➤ उत्तल दर्पण ( Convex mirror )-
वह दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ उठा हो उत्तल दर्पण कहलाता हैं।
उत्तल दर्पण के सामने वस्तु कहि पर भी रखी हो तो प्रतिबिम्ब सदैव वस्तु से छोटा, आभासी, सीधा तथा दर्पण की ओर बनेगा।
→ उत्तल दर्पण की विषेशता -
1) यह किरणों को फैला देता है अतः अपसारी ( diversing ) होता है।
2) इसकी फोकस दुरी सदैव धनात्मक होता हैं।
3) यह प्रतिबिम्ब को सीधा तथा छोटा बनाता है।
4) यह बहुत बड़ी वस्तु को छोटा कर देता है जिस कारण इसका प्रयोग गाड़ियों के side-mirror के लिए करते हैं।
5) यह किरणों को फैलाता है जिस कारण इसका प्रयोग सड़क के किनारे भेपर लाइट के रूप में प्रयोग करते हैं।
6) सोडियम परावर्तक लैप में प्रयोग करते हैं।
7) इसकी आवर्धन क्षमता सदैव एक से कम रहता हैं।
→ आवर्धन ( Magnification )-
प्रतिबिम्ब की लम्बाई तथा वस्तु की लम्बाई के अनुपात को आवर्धन कहते हैं।
M = ー V ➗ U
नोट- यहां V तथा U के आगे घनात्मक तथा ऋणात्मक चिन्ह दर्पण के अनुसार लगेगा।
By Prashant
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