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➤ विधुत धारा ( Electricity )-
विधुत एक प्रकार की ऊर्जा है जो इलेक्ट्रोन के प्रवाह के कारण उतपन्न होती हैं।
➨आवेश ( Charge )-
वह गुण जिसके कारण कोई वस्तु किसी दूसरी वस्तु का आकर्षण या प्रतिकर्षण करे उसे आवेश कहते है। आवेशित कण की सबसे बड़ी विशेषता प्रतिकर्षण होती हैं।
वस्तुओ को आवेशित करने का सबसे पहला प्रयोग थेल्स नामक विद्वान ने दिया था। इन्होने कांच के छड़ को रेशम के टुकड़े पर जब रगरा तो कांच की छड़ में आकर्षण का गुण पैदा हो गया।
इन्होने कांच के छड़ के आवेश को धनात्मक माना था तथा रेशम पर उतपन्न आवेश को ऋणात्मक माना था।
आवेश का सबसे स्पष्ट व्यख्या बैंजामिन फैगलिन ने किया था। इन्होने ही धन आवेश तथा ऋण आवेश बताया।
बैंजामिन फैगलिन ने ताम्बे का तरित चालक बनाया। तरित चालक 10 हजार एम्पियर की धारा को झेल सकता हैं। इसी कारण इसे मोबाइल टावर के ऊपर लगाया जाता है क्योकि यह बिजली से उतपन्न आवेश को पृथ्वी में भेज देता हैं।
विजली करकने पर नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO) उतपन्न होती है।
स्थिर आवेश केवल विधुत क्षेत्र पर उतपन्न होती है जबकि गतिशील आवेश विधुत तथा चुंबकीय दोनों क्षेत्र पर उतपन्न करता हैं।
पृथ्वी कितने भी आवेश को अवशोषित कर लेती है। इसी कारण ज्वलनशील पदार्थ को ले जा रहे ट्रक से एक छड़ जमीन पर लटका दिया जाता है ताकि सारा आवेश पृथ्वी में चला जाये।
समान आवेश के बिच प्रतिकर्षण होता है जबकि विपरीत आवेश के बिच आकर्षण होता हैं।
जब दो चालक में धारा एक ही दिशा में जा रही है तो उन चालक के बिच आकर्षण होगा किन्तु यदि दो चालकों में धारा विपरीत दिशा में जा रही है तो उनमे प्रतिकर्षण होगा।
आवेश (q) = nxe
आवेश = धारा xसमय
जहां n = एलेक्ट्रोन की संख्या , e = 1.6 x 10⁻¹⁹
प्रश्न 1 ) एक पदार्थ में समान आवस्था से 500e कम है उस पदार्थ का आवेश निकाले।
प्रश्न २) एक चालक में 2 एम्पियर की धारा 3 सेकेंड तक प्रवाहित हो रही है। आवेश निकाले।
By Prashant
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