about वस्तु का रंग/प्राथमिक रंग/द्वितीयक रंग/पूरक रंग/सुक्षमदर्शी/सरल सुक्षमदर्शी/संयुक्त सुक्षमदर्शी/from basic/for 10th/12th/ssc/raiway/other exam/physics-66
➤ वस्तु का रंग-
कोई वस्तु जिस रंग को परावर्तित करती है वह उसी रंग की दिखती हैं।
सफेद दिखने वाली वस्तु सभी रंगो को परावर्तित कर देती है जिस कारण सफेद वस्तु में कम गर्मी लगती हैं।
जो वस्तु सभी रंगो को अवशोषित कर लेती है वह काले रंग की दिखती है। इसी कारण काले रंग के वस्तु में अधिक गर्मी लगती हैं।
➨प्राथमिक रंग-
वैसा रंग जिससे शेष रंगो को बनाया जा सके प्राथमिक रंग कहलाता है। TV में प्राथमिक रंग प्रयोग किया जाता हैं।
नीला, हरा, लाल
➨द्वितीयक रंग-
ये दो प्राथमिक रंगो को बराबर अनुपात में मिलाने के कारण बनता हैं।
ग्रीन ➕ ब्लू = cyan ( मोर colour )
रेड ➕ ब्लू = मैजेंटा
ग्रीन ➕ रेड = येलो
➨पूरक रंग-
वैसे रंग जिन्हे आपस में मिला देने पर सफेद रंग बन जाए उसे पूरक रंग कहते हैं।
रेड ➕ मोर कलर = वाइट
येलो ➕ ब्लू = वाइट
मैजेंटा ➕ ग्रीन = वाइट
नोट- रंगो का यह नियम पेंट पर लागु नहीं होता हैं।
➨अलग-अलग रंग के प्रकाश में वस्तु का रंग-
कोई वस्तु स्वयं अपने रंग की तभी दिखेगी जब उसे या तो सफेद प्रकाश में दिखा जाये या तो उसे स्वयं के रंग के प्रकाश में देखा जाये।
➤सुक्षमदर्शी -
यह छोटी वस्तु को बड़ा कर के दिखाता है। इसमें कम फोकस दुरी का उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है। यह दो प्रकार के होते हैं-
1) सरल सुक्षमदर्शी-
यह वस्तुओ को बड़ा कर के दिखाता है। इसमें कम फोकस दुरी का उत्तल लेंस लगा होता है। यह वस्तुओ को अधिक बड़ा नहीं करता।
2) संयुक्त सुक्षमदर्शी-
इसमें दो उत्तल लेंस लगे होते है जो लेंस वस्तु की ओर होता है उसे अभि-दृश्यक कहते हैं। इसकी फोकस दुरी कम होती हैं। जो लेंस आँख की ओर होता है उसे नेत्रिका कहते हैं।
नोट- चश्मा लगाने वाला व्यक्ति यदि सुक्षमदर्शी का प्रयोग करता हैं तो उसे अपना चश्मा उतरना पड़ेगा।
➨खगोलीय दूरदर्शी में दो उत्तल लेंस लगे होते हैं। यह वस्तु का प्रतिबिम्ब बड़ा, काल्पनिक तथा उल्टा बनता है।
पार्थिव सुक्षमदर्शी में तीन उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है। इसमें बना प्रतिबिम्ब बड़ा, काल्पनिक तथा सीधा बनता है।
नोट- गैलीलियो दूरदर्शी में उत्तल लेंस तथा अवतल लेंस दोनों का प्रयोग किया जाता हैं।
By Prashant
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