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➤लेंस ( Lens )-
इसका दोनों सतह पादर्शी होता है। लेंस का प्रत्येक भाग प्रिज्म के भांति कार्य करता है। पतले लेंस की फोकस दुरी अधिक होती है अथार्त उससे दूर तक दिखाई देती है और मोटे लेंस की फोकस दुरी कम होती है अथार्त उससे कम दूर तक दिखाई देती हैं।
➤ उत्तल लेंस ( Convex lens )-
वैसा लेंस जिसका बिच का भाग उभरा हुआ हो तथा किनारे का भाग चपटा हो
उत्तल लेंस किरणों को समीप लाता है अत यह अभिसारी होता है। जिस कारण यह करीब के वस्तु को देखने के काम में आता है। इसकी फोकस दुरी तथा क्षमता दोनों ही धनात्मक होती हैं।
दूर द्रिष्टि दोष को ठीक करने के लिए उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता हैं।
माइक्रोस्कोप में उत्तल लेंस लगा होता है।
मानव नेत्र उत्तल लेंस के भांति कार्य करता है।
पानी का बुलबुला उत्तल लेंस के भांति दिखता है किन्तु अवतल लेंस के भांति कार्य करता हैं।
प्रज्वलक कांच के रूप में उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता हैं।
नोट- जब वस्तु फोकस व ध्रुव के में रहती है तो उस स्थिति में उत्तल लेंस से बना प्रतिबिम्ब आभासी तथा सीधा होगा , शेष परिस्थितियों में प्रतिबिम्ब वास्तविक तथा उल्टा होता हैं।
➤ अवतल लेंस ( Cancave lens )-
यह मुख्य अक्ष के समानांतर वाली किरणों को कई दिशाओ में फैला देता है। अत यह अपसारी ( Diversing ) होता हैं।
यह दूर तक के वस्तु को देखने के काम में आता है। जिस कारण इसका प्रयोग निकट दृस्टि दोष के उपचार के लिए करते हैं।
अवतल लेंस की फोकस दुरी होती है। इससे बनने वाला प्रतिबिम्ब सदैव आभासी तथा सीधा बनता है और वस्तु की ओर बनता हैं।
➤ लेंस की क्षमता ( Power of Lens )-
फोकस दुरी के बयुक्तक्रम को लेंस की क्षमता कहा जाता है। इसे डायोप्टर में मापा जाता हैं।
उत्तल लेंस की फोकस दुरी तथा क्षमता दोनों ही धनात्मक होती है, अवतल लेंस की फोकस दुरी तथा क्षमता दोनों ही ऋणात्मक होती हैं।
क्षमता,( P )= 1 ➗ f (m)
क्षमता,( P ) = 100 ➗ f (cm)
➨दो लेंस को आपस में जोर कर रखने पर उसकी क्षमता(P)=P₁ ➕ P₂
By Prashant
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