about विभवतर/Potential difference/धारामापी/शंट/Ammeter/प्रतिरोध /Resistance/चालकता /Conductance/श्रेणी (series)क्रम समायोजन/Parellel/from basic/physics-70

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➤ विभवतर (Potential difference )-

विभव में आने-वाले अंतर को विभवंतर कहते है। विभवंतर के कारण ही धारा प्रवाहित होती है। यदि विभव समान होगा तो उनके बिच का विभवंतर शून्य हो जाएगा और धारा नहीं जायेगा। 

एक ऐसा पृस्ट जिसके सभी स्थान पर विभव समान हो उसे सम विभव पृस्ट कहते है। सम विभव पृस्ट पर धारा प्रवाहित नहीं होती है। 

विभव को मापने के लिए Voltmeter का प्रयोग किया जाता है। Voltmeter को समानांतर क्रम में लगाया जाता है।  एक आदर्श Voltmeter का प्रतिरोध अनंत होता है। 

➤धारामापी ( G )-

यह धारा के उपस्थिति को बताता है किन्तु धारा को मापता नहीं हैं। 

➤ शंट -

शंट एक कम प्रतिरोध का पतला तार होता हैं। 

➤Ammeter-

यह धारा को मापता है तथा उपस्थिति भी बताता हैं।  इसे श्रेणीं क्रम में जोड़ा जाता है। 
एक आदर्श Ammeter का प्रतिरोध शून्य रहता है। 

जब गलवानोमेटेर को समान्तर क्रम में निम्न प्रतिरोध का शंट जोर देते है तो Ammeter बनता हैं। 

जब गलवानोमीटर को श्रेणी क्रम में उच्च प्रतिरोध का शंट जोर देते है तो वह वाल्टमीटर का कार्य करने लगता है। 

➤प्रतिरोध ( Resistance )-

धारा के विरोध करने वाला गुण प्रतिरोध कहलाता है। 
प्रतिरोध को ओम (Ω) में मापते है। इसका विमा ML²T⁻³I⁻² होता है। 

➤चालकता ( Conductance )-

प्रतिरोध के व्युत्क्रम को चालकता कहते है। 
प्रतिरोध ∝1 ➗ चालकता 
चालकता बढ़ने पर धारा तेजी से बहेगी। इसका मात्रक ohm⁻¹ m⁻¹ / म्हो (ひ) / सीमेन होता है। 
प्रतिरोध जितना कम होगा चालकता उतनी अधिक होगी। तापमान बढ़ाने पर धातुओं का प्रतिरोध बढ़ जाता है जिस कारण चालकता घट जाती है। 

बहुत ही निम्न ताप 4.12 केल्विन पर पारा का प्रतिरोध शून्य हो जाता है और उसकी चालकता अनंत हो जाती है और वह अतिचालक ( Super conductor ) का कार्य करने लगता हैं। 

नोट- तापमान बढ़ाने से अर्द्ध चालकों का प्रतिरोध घट जाता हैं। 

➨प्रतिरोध को प्रभावित करने वाले कारक -

1) तापमान बढ़ने से प्रतिरोध बढ़ता है। 
R = ρl ➗ A 
जहां - ρ = विशिष्ट प्रतिरोध , l = चादर की लम्बाई, A = चालक का क्षेत्रफल 

विशिष्ट प्रतिरोध चालकों का एक विशेष गुण है। यह लम्बाई, चौड़ाई, ताप आदि को बढ़ने से प्रभावित नहीं होता। 

2) क्षेत्रफल बढ़ाने से प्रतिरोध घट जाता है अतः मोटे तार का प्रतिरोध कम होगा। 
लम्बाई बढ़ाने से प्रतिरोध बढ़ जाता हैं -
case1- यदि किसी तार की लम्बाई को n गुणा कर दिया जाए तो उसका प्रतिरोध भी n गुणा हो जाएगा। 

case2- यदि तार की लम्बाई को खींच कर n गुणा कर दिया जाए तो प्रतिरोध n² गुणा हो जाएगा। 

➨ विशिष्ट प्रतिरोध जब ही बदलेगा जब तार के एक पदार्थ को बदला जायगा। 
   
नोट- प्रतिरोध को ओम मीटर में मापा जाता है किन्तु उच्च प्रतिरोध को मेगर से मापा जाता है। 
मानव शरीर का प्रतिरोध 1000 ओम होता हैं। 

➤ प्रतिरोधों का समायोजन - 

प्रतिरोध को दो विधि द्वारा सजाते हैं। 

1) श्रेणी (series)क्रम समायोजन-


श्रेणी क्रम में सभी प्रतिरोध सीधी रेखा में जूरी रहते हैं। 
एक प्रतिरोध का अगला सिरा दूसरे प्रतिरोध का पिछला सिरा से ज़ुरा होता हैं। 

इसमें छोटे-छोटे प्रतिरोध मिलकर के एक बड़े प्रतिरोध का निर्माण कर देते हैं। 

श्रेणी क्रम में वोल्टेज घटता जाता है किन्तु धारा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। 

इस प्रकार के समायोजन में किसी एक स्थान पर खराबी आने से पूरा परिपथ काम करना बंद कर देती हैं। 

बिजली घर से बिजली को लाने के लिए श्रेणी क्रम का प्रयोग करते हैं। 

2) समानान्तर ( Parellel ) क्रम समायोजन-


इसपर प्रतिरोधीओ को एक सीढ़ में नहीं जोड़ा जाता हैं। इसमें एक प्रतिरोध का पहला सिरा दूसरे प्रतिरोध का पहला सिरा से ज़ुरा रहता है। 

इसमें वोल्टेज समान रहता है किन्तु धारा घट जाती है। इसमें बड़ा-बड़ा प्रतिरोध भी छोटे प्रतिरोध के रूप में काम करने लगते हैं। 

घरो में वायरिंग समानांतर क्रम में होती हैं। 



By Prashant

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