about reflection of plane mirror/from basic/for10th/12th/ssc/railway/other exam/ physics-56
➤ समतल दर्पण से परावर्तन -
रजत दर्पण बनाने में ग्लूकोज का प्रयोग होता हैं। दर्पण के पीछे कलई (पेंट) करने के लिए सिल्वर ब्रोमाइड का प्रयोग किया जाता है।
→समतल दर्पण से बने प्रतिबिम्ब की निम्लिखित विशेषता होती है -
1) प्रत्येक वस्तु से अनंत किरणे निकलती है किन्तु प्रतिबिम बनाने के लिए किसी दो किरण की आवश्यकता होती हैं।
2 ) प्रतिबिम्ब वहा बनता है जहा किरणे एक-दूसरे को कटती है या कटती हुई प्रतीत होती है। जहा किरणे वास्तव में कटती है वहा वास्तविक प्रतिबिंब बनता है और जहा काटती हुई प्रतीत होती है वहा आभासी प्रतिबिम्ब होती है।
3) समतल दर्पण से आभासी प्रतिबिम्ब ही बनते हैं।
4) समतल दर्पण में अपना पूरा प्रतिबिम्ब देखने के लिए अपनी लम्बाई के आधे लम्बाई का दर्पण लेना होता है।
5) यदि दर्पण को 𝝝 कोण पर धुमाया जाये तो तो प्रतिबिम्ब 2𝝝 कोण पर घूम जायगा।
6) यदि कोई व्यक्ति V वेग से दर्पण की ओर आ रहा है तो प्रतिबिम्ब 2V वेग से आता हुआ प्रतीत होगा।
7) वस्तु दर्पण से जितनी दूर रखी रहती है दर्पण के अंदर उतनी ही दुरी पर उसका प्रतिबिम्ब बनता हैं।
→ दो समतल दर्पण को यदि 𝝝 कोण पर आमने-सामने रखा जाये तो उनके बिच बनने वाली प्रतिबिम्बों की संख्या यदि n हो तो -
n = 360 ➗ 𝝝 - 1
सैलून, शोरूम तथा दुकानों में दीवाल के आमने-सामने सीसे लगा दिये जाते है जिससे हमे कई प्रतिबिम्ब दिखाई देते है -
नोट- 360 ➗ 𝝝 का मान सम होगा तो एक घटा दिया जायगा। यदि 360 ➗ 𝝝 का मान विषम होगा तो एक नहीं घटाया जायेगा।
यदि एक n का मान दशमळो में आता है तो दशमलव को नहीं लेते है।
जैसे- यदि n का मान 4.8 होगा तो प्रतिबिम्बों का संख्या 4 होगा।
नोट- यदि दोनों सीसे समान्तर अथार्त 0° के कोण पर है तो प्रतिबिम्ब अनंत बनेगा।
→ पेरिस्कोप 45° के कोण पर परावर्तन करता है। पनडुब्बी जल से बाहर देखने के लिए पेरिस्कोप का प्रयोग करती हैं।
By Prashant
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