about nature of magnet/चुंबक की प्राकृति/प्रति-चुंबकीय/Dimagnetic/अणु-चुंबकीय/Paramagnetic/लौह-चुंबकीय/Ferromagnetic/क्यूरी ताप/Curi temp/पार्थिव चुंबक/भौगोलिक याम्योत्तर/चुंबकीय याम्योत्तर/from basic/physics-77
➤चुंबक की प्राकृति-
चुंबकीय पदार्थ को तीन भाग में बाटते हैं-
1) प्रति-चुंबकीय ( Dimagnetic )-
ये चुंबक के प्रति प्रतिकर्षण दर्शाने लगते है। अतः इनकी चुम्ब्शीलता ऋणात्मक होती है।
जैसे- सोना, चांदी, कॉपर, विस्मथ, हवा, जल, हाइड्रोजन आदि।
2) अणु-चुंबकीय (Paramagnetic)-
ये चुंबक के प्रति कम आकर्षित होती है। इसकी चुंबकशीलता धनात्मक होती है।
जैसे- पोटैशियम, ऑक्सीजन, एल्युमिनियम, क्रोनियम, सोडियम, माँगनेसियम आदि।
3) लौह-चुंबकीय (Ferromagnetic)-
ये चुंबक के प्रति अत्यधिक आकर्षित होते है। अतः इनकी चुंबकशीलता अत्यधिक धनात्मक होती है।
जैसे- लोहा, कोबाल्ट, निकल आदि।
➤ट्रिक- जिस तत्व के अंत में "म'' लगा होता है वह सामान्यतः अणु-चुंबकीय होता है।
जैसे- सोडियम, मैग्नीशियम, एलुमिनियम, पोस्तासियम, क्रोनियम आदि।
➤क्यूरी ताप (Curi temp.)-
वह तापमान जिसके निचे कोई पदार्थ लौह चुंबकीय रहता है किन्तु उसके ऊपर वह अणु चुंबकीय हो जाता है।
अलग-अलग पदार्थ के लिए क्यूरी तापमान अलग-अलग होता है।
जैसे- लोहा= 973K, निकेल= 673K, कोबाल्ट= 373K
➤पार्थिव चुंबक-
पृथ्वी बहुत ही विशाल चुंबक के भांति कार्य करती है। पृथ्वी के चुंबक का ऊपरी ध्रुव तिरछा निचे की ओर जबकि दक्षिणी ध्रुव तिरछा ऊपर की ओर होती है।
चुंबक के दोनों ध्रवों के मिलाने वाली रेखा को चुंबकीय अक्ष कहते है।
पृथ्वी के दोनों ध्रुवो के मिलाने वाली रेखा को भौगोलिक अक्ष कहते है।
भौगोलिक अक्ष तथा चुंबकीय अक्ष के बिच 17 डिग्री से 18 डिग्री के बिच का कोण बनता है।
➤भौगोलिक याम्योत्तर-
पृथ्वी के भौगोलिक अक्ष से गुजरने वाली लंबवत रेखा को भौगोलिक याम्योत्तर कहते है।
➤ चुंबकीय याम्योत्तर-
चुंबकीय अक्ष के लंबवत गुजरने वाली रेखा को चुंबकीय याम्योत्तर कहते है।
➤दिक्पात का कोण-
चुंबकीय याम्योत्तर तथा भौगोलिक याम्योत्तर के बिच का कोण दिक्पात का कोण कहलाता है।
➤नती कोण-
सम्पूर्ण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का उसके क्षैतिज घटक के साथ बना कोण नती कोण कहलाता है।
इसका मान विषवत रेखा पर 0 डिग्री हो जाता है तथा ध्रुवो पर 90 डिग्री हो जाता है।
By Prashant
Thanks
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