Posts

Showing posts from January, 2023

surface tension/from basic/for 10th/12th/ssc/railway/other exam./in hindi language/ physics

Image
  Click here For Biology पृष्ठ तनाव (surface tension)- यह द्रवों का एक विषेस गुण होता है, जिस कारण वह अपना क्षेत्रफल कम से कम रखना चाहता हैं. जिस कारण द्रव की स्वतंत्र बून्द गोल रूप ले लेती हैं।  इसका मात्रक N / m तथा joule / m² पृष्ठ तनाव = बल ➗लंबाई  - तापमान बढ़ाने पर पृष्ठ तनाव घट जाता है और वह द्रव पुरे सतह पर पतला होकर फैल जाता हैं।  जैसे - गर्म खाना स्वादिष्ट होता है क्योकि ताप बढ़ने पर पृष्ठ तनाव फैल जाता हैं।        - गर्म पानी से कपड़ा जल्दी साफ होता हैं।       - एस्प्रे/परफूम की बून्द गोल होती हैं क्योकि उसका पृष्ठ तनाव अधिक रहती है जिस कारण वह ठण्डा लगता हैं।  अशुद्धि मिलाने पर पृष्ठ तनाव घट जाता है- जैसे- नाली के पानी में किरोसिन मिलाने पर मच्छर दुब जाता हैं।  - डिटर्जेंट(सर्फ) मिलाने से पृष्ठ तनाव घट जाता हैं, और कपड़ा जल्दी साफ होता हैं।  नोट- सुई , ब्लेड , मच्छर , कपूर  द्रव के ऊपर पृष्ठ तनाव के कारण तैर जाते हैं।       - धातुओं की बेल्डिंग गर्म कर के की जाती है जो पृष्ठ तनाव का कारण हैं।  नोट - पृष्ठ तनाव का गुण ससंजक बल के कारण होता हैं।  By Prashant Click here for Chemis

bernoulli's low/from basic/for 10th/12th/ssc/railway/other exam/in hindi language/physics

Image
Click here for Biology   बरनौली के परिमय (bernoulli's low)- यह ऊर्जा संरक्षण के नियम पर आधारित है, यह धारा रेखिय प्रवाह पर आधारित रहता है।  इस नियम के अनुसार दाब बढ़ने पर वेग (speed) घट जाता है तथा वेग बढ़ाने पर दाब घट जाता हैं।  जैसे -  आंधी में छपर उर जाते हैं।         - तेज गति से आने वाली रेल के बगल में खरा होने से माना किया जाता हैं।        - वायुयान उर जाते हैं।       - दो पानी वाली नाव जब समिप आती हैं तो वे आपस में लड़ जाती हैं।       - गहरा जल सांत रहता हैं।      - पतंग उर जाता हैं।  By Prashant Click here for Chemistry

about low of pascal/viscosity/from basic/in hindi language/for10th/12th/ssc/railway/other exam/ physics

Image
  Click here for Biology ➤पास्कल का नियम -  जब किसी बंद पात में कोई द्रव  /  गैस भरा रहता हैं तो वह अपनी सभी दिशाओ में समान दाब  लगाता हैं।  इसे पास्कल का नियम कहते हैं।  इस पर आघारित यंत हैं - ह्यड्रोलिक ब्रेक , ह्यड्रोलिक प्रेशर , ह्यड्रोलिक जैक्स।  ➤श्यानता (viscosity)- द्रव तथा गैस के अणु के बिच एक बल कार्य करता हैं जो उसके गति का बिरोध करता हैं, इसी बल को श्यानता कहते हैं। यह ठोस में नहीं पाया जाता हैं।  अणु भार बढ़ाने पर श्यानता बढ़ जाती हैं.अणु जब समीप आते हैं तो वे श्यानता को बढ़ा देते हैं।  तापमान बढ़ने पर द्रव के अणु दूर-दूर चले जाते हैं, जिस कारण श्यानता घट जाती हैं। तापमान बढ़ने पर गैस के कण समीप आने लगते है, जिस कारण श्यानता बढ़ जाती हैं।  घनत्व बढ़ाने पर श्यानता बढ़ जाती हैं।  वायु मण्डल में बादल कम श्यानता तथा कम घनत्व के कारण ही तैर जाते हैं।  शहद, जल, तथा तेल में सर्वाधिक श्यानता शहद की होगी।  ➨श्यानता को विस्कोमीटर से मापते हैं।  By Prashant  Click here for Chemistry

pressure of liquid/bubles in water/ from basic/for 10th/12th/ssc/railway/other exam/phusics

Image
Click here for Biology   बुलबुला का दाब - →जल के अंदर बुलबुला के दाब बाहर के पानी के दाब से अधिक रहता हैं जिस कारण वह ऊपर आने के बाद फट जाता हैं / →जब बुलबुला निचे से ऊपर जाता हैं तो उसका आकार बढ़ता हैं / →बड़ा बुलबुला सतह पर पहले आएगा और छोटा वाला बाद में आयेगा / द्रव द्वारा लगाया गया दाब - द्रव द्वारा लगाया गया दाब उसके घनत्व ,उचाई तथा गुरुत्वीय त्वरण पर निभर करता हैं /    p = hdg  उचाई बढ़ने पर दाब बढ़ता हैं, इसी कारण पानी टंकी को उचाई पर रखा जाता हैं / नोट  - यदि किसी नली से कोई द्रव प्रभावित हो रहा हैं तो उस द्रव का दाब नली के क्षेत्रफल के बेयुक्तकरांनुपाती होगा अथार्त पतली नली से द्रव तेजी से निकलेगा /    By Prashant Click here for Chemistry

pressure of atmoshphers/from basic/for 10th/12th/ssc/railway/other exam/in hindi language/physics

Image
  Click here for Biology ➤वायु मंडलीय दाब  -  वायु के विभिन परतो के द्वारा लगाए जाने वाले दाब को वायु मण्डलीय दाब कहते हैं|  ऊचाई बढ़ने पर वायु की परत घटती जाती हैं जिस कारन वायु मण्डलीय दाब घट जाता हैं | वायु मण्डलीय दाब कम होने के कारण निम्नलिखित घटना होती हैं -- - हवाई जहाज में कलम की स्याही बाहर आ जाती हैं | पर्वतो पर जाने से नाक से खून आने लगती हैं |  पर्वतो पर वायु मण्डलीय दाब घटने से कथानक घट जाता हैं जिस कारण खाना देर से पकता हैं |  गुब्बारा जब ऊचाई पर जाता हैं तो वायु मण्डलीय दाब घटने से वह फट जाता हैं |   एक वायु मण्डलीय दाब अर्थात 1 Bar = 1.013 By Prashant Click here for Biology

about pressure from basic for all exam./10th/12th/in hindi language class of physics

Image
  Click here for Biology ➤ दाब(pressure)- इकाई क्षेत्रफ़ल पर लगने वाले अभिलंबत बल को दाब कहते है | दाब एक अदिश राशि है |                               A= F     1=F ➗ A     दाब (P ) = बाल ➗क्षेत्रफल   दाब का मात्रक N/m ² या पास्कल होता हैं | दाब का एक अन्य मात्रक bar होता हैं |    दाब बल के समानुपाती होता है किन्तु क्षेत्रफल के बेयुक्तकरामानुपाती होता हैं अथार्त क्षेत्रफल  घटने पर दाब बढ़ जाता हैं|   इसी कारण काँटी का नोख तथा चाकू का धार  पतला बनाया जाता हैं ताकि दाब बढ़ जाय |    क्षेत्रफल को बढ़ाने पर दाब घट जाता हैं| इसी कारण भारी वाहन के पिछे दो टायर होते हैं |    ट्रैन के लोहे के पटरियों के निचे सीमेंट की पटरी बिछा दी जाती हैं |    जब व्यकति अपने एक पैर खड़ा रहता है तो वह पृथ्वी पर सवार्धिक दाब लगता हैं |  By Prashant Click here for Chemistry  

about gravity force/weight/mass/from basic for 10th/12/ssc/railway/other exam/in hindi language/ physics

Image
Click here for Biology   ➤गुरुत्वीय बल/भार   -  पृथ्वी जिस बल से किसी वस्तु को अपने ओर खींचती है उस बल को ही भार कहते है।    →भार/ गुरुत्वीय बल(w) = m ✖ g  →भार एक सदिश राशि है जो सदैव निचे की ओर कार्य करता है।  इसे Newton में मापते है।   →भार गुरुत्वीय त्वरण के समानुपाती होता है अथार्त ध्रुओं पर g का मान बढ़ता है जिस कारण भार भी बढ़ेगा और विषवत रेखा पर भार घटेगा  →पृथ्वी के केंद्र पर या अंतरिक्ष में g का मान शून्य होता है जिस कारण भार शून्य हो जाएगा।   →निर्वात में वस्तु का भार अधिकतम होता है।   →भार को मापने के लिए स्प्रिंग या कमानीदार तुला का प्रयोग करते है।   →भार बदलता रहता है क्योकि यह g के मान पर निर्भर है।   नोट   - पृथ्वी की तुलना में चन्द्रमा पर g 1/6 भाग हो जाता है अथार्त वहां भार भी 1/6 हो जाता है।   यही कारण है की चन्द्रमा पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्री को भारी भरकम सूट पहनाकर 6 गुणा भारी कर दिया जाता है ताकि जब वे चन्द्रमा पर जाये तो इसका भार 6 गुना कम होने के बाद भी उन्हें पृथ्वी जैसा माहौल महसूस हो।   ➤द्रव्यमान (mass) -  यह एक नियत राशि है जो बदलती नहीं है , यह द्रव्य के अ

about simple harmonic motion/shm/from basic/for 10th/12th/other exam/in hindi language/physics

Image
  Click here for Bipology ➤सरल आवर्त गति(𝐒𝐇𝐌) -    जब कोई वस्तु किसी के इधर-उधर अपने गति को दोहराय तो ऐसे गति को सरल आवर्त गति कहते है।   ➤ प्रत्यानयन बल -     सरल आवर्त गति करने के लिए आवश्यक बल प्रत्यानयन(restarting force) कहलाता है।  ➤ निलम्बन बिंदु -     SHM करने वाली वस्तु जिस स्थान से लटकी होती है उसे निलम्बन बिंदु कहते है।   निलम्बन बिंदु से वस्तु के द्रव्यमान केंद्र के बिच की दुरी को लम्बाई कहते है।   नोट  -  SHM में विस्थापन त्वरण के समानुपाती होता है किन्तु दिशा विपरीत होती है।   ➤ आयाम(amplitude)-   मध्यमान स्थिति से अधिकतम विस्थापन को आयाम कहते है। एक आवर्त पूरा करने के बाद वस्तु का विस्थापन शून्य रहता है किन्तु दुरी आयाम का चार गुणा हो जाता है।                     दुरी  = 4 ✖ आयाम  ➤ SHM के दौरान अंतिम छोर अथार्त किनारे पर - विस्थापन , त्वरण , बल , स्थितिज ऊर्जा = अधिकतम  वेग गतिज ऊर्जा = शून्य  ➤ SHM के दौरान मध्य बिंदु पर -   विस्थापन , त्वरण , बल , स्थितिज ऊर्जा = शून्य  वेग , गतिज ऊर्जा = अधिकतम  ➤ आवर्त काल(time period)-   एक आवर्त पूरा करने में लगाया गया समय आवर्त

about polar and geo-stationary satellite/from basic/10th/12th/other exam/in hindi language/ physics

Image
Click here for Biology   ध्रुवीय उपग्रह(polar satellite)-   जब पृथ्वी सतह से 600 से 900 की ऊचाई पर छोरे जाते है तो इसका कक्षीय वेग 8 km/s होता है।   इसका आवर्तकाल अथार्त पृथ्वी का एक चक्कर लगाने में 84 मिनट का समय लगता है।  इससे मौसम की भविष्यवाणी की जाती है।  इसे छोड़ने के लिए भारत 𝐏𝐒𝐋𝐕 रॉकेट का प्रयोग करता है।                       PSLV SATELLITE भू-स्थितिक उपग्रह(geo-stationary satellite)-   इस उपग्रह को 36000 km की ऊचाई पर छोरा जाता है।   इसका कक्षीय चाल 3.14 km/s होता है।   इसका आवर्तकाल अथार्त पृथ्वी का एक चक्कर लगाने में 24 घंटा लगता है जिस कारण इसे जिस स्थान के ऊपर छोरा जाता है सदैव उसी स्थान के ऊपर रहते हुये चक्कर लगाता रहता है।  इसका प्रयोग निगरानी तथा संचार में किया जाता है।  इस उपग्रह को 𝐆𝐒𝐋𝐕  रॉकेट के द्वारा छोरा जाता है।                            GSLV SATELLITE By Prashant

about कक्षीय वेग/orbital velocity/कक्षीय वेग तथा पलायन वेग में सम्ब्नध physics for all exam./10th/10+2th class from basic

Image
  Click here for Biology कक्षीय वेग(orbital velocity)-   वह न्यूनतम वेग जिसे प्राप्त कर कोई उपग्रह पृथ्वी का एक चक्कर लगा सके कक्षीय वेग कहलाता है।  कक्षीय वेग(𝑽₀ = √𝐠𝐑 कक्षीय वेग तथा पलायन वेग में सम्ब्नध -   √2 √gr,   𝐕𝓮   = √2 𝐕₀ नोट   -पलायन वेग कक्षीय वेग से √2 गुणा अधिक होता है , अथार्त किसी उपग्रह का कक्षीय वेग √2 गुणा बढ़ा दिया जाये या 41% बढ़ा दिया जाये तो वह उपग्रह पलायन कर जाएगा।                               By Prashant

about escape velocity from basic/in hindi language/for 10th/12th/other exam/physics

Image
  Click here for Biology     पलायन वेग(escape velocity)  -    पृथ्वी सतह से  किसी वस्तु को दिया गया वह न्यूनतम वेग जिसे प्राप्त कर वस्तु पृथ्वी को छोर कर अंतरिक्ष में चली जाये और वापस न आये पलायन वेग कहलाता है।              𝐕𝒆 = √2𝒈𝒓 , r = पृथ्वी की त्रिज्या  पृथ्वी पर पलायन वेग 11. 2 km/s  और चन्द्रमा पर 2.35 km/s होता है।   शुत्र से स्पष्ट है यदि त्रिज्या बढ़ायेगे अथार्त ग्रह का आकार बड़ा करेगा तो पलायन वेग का मान बढ़ जायेगा और इस ग्रह को छोड़ने में कठिनाई आएगी।   By Prashant

about rotation of earth/for 10th/12th/other exam/from basic/in hindi language physics

Image
  Click here for Biology पृथ्वी की गति (घूर्णन गति) तथा 𝒈 में सम्बन्ध - ➜यदि पृथ्वी की गति बढ़ या घट जाये तो इससे ध्रुवो पर 𝒈 के मान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।   ➜यदि पृथ्वी की गति बढ़ जाये तो विषवत रेखा (भूमध्य रेखा) पर 𝒈 का मान घट जायेगा।   ➜यदि पृथ्वी की गति घट जाये तो विषवत रेखा पर 𝒈 का मान बढ़ जायेगा।   ➜यदि पृथ्वी गति करणा बंद कर दे तो ध्रुव तथा विषवत रेखा दोनों पर 𝒈 का मान समान हो जायेगा।  ➜यदि पृथ्वी की गति 17 गुणा बढ़ जाये तो पृथ्वी पर की सभी वस्तुए हवा में तैरने लगेगी अथार्त गुरुत्वाकर्षण शून्य प्रतीत होगा।   By Prashant Click here for Biology

about relation between lift and man/from basic for all competative exam/10th/12th/other exam/hindi language/ physics

Image
Click here for Biology   ➤  लिफ्ट की गति तथा व्यक्ति की भार -   → यदि लिफ्ट समान वेग से ऊपर या निचे जाये तो व्यक्ति के भार में कोई परिवर्तन नहीं होगा।   → यदि लिफ्ट त्वरण या समान त्वरण से ऊपर जाये तो भार बढ़ा हुआ प्रतीत होगा।   → यदि लिफ्ट त्वरण या समान त्वरण से निचे जाये तो भार घटता हुआ प्रतीत होगा।   → यदि लिफ्ट ऊपर या निचे जाते समय उसकी रस्सी टूट जाये तो व्यक्ति का भार शून्य प्रतीत होगा अर्थात भारहीनता महसूस होगी।  → यदि लिफ्ट का त्वरण निचे उतरते समय g से अधिक हो जाये तो लिफ्ट में रखी वस्तु लिफ्ट के छत से टकरा जाएगी।   By Prashant Click here for Biology

about gravitation/gravity/from basic/for 10th/12th/other exam/in hindi language/physaics

Image
Click here for Biology   ➤गुरुत्वाकर्षण(gravitation)-    दो वस्तु के बिच लगने वाली आकर्षण बल को गुरुत्वाकर्षण कहते है।   गुरुत्वाकर्षण बल का परास(range) सबसे अधिक होता है , किन्तु यह सबसे कमजोर बल है।  इसकी प्राकृति सदैव आकर्षण की रहती है।  गुरुत्वाकर्षण की खोज Newton ने किया। इसे G से दिखाते है।   इसका मात्रक 𝑵𝐦²/𝐤𝐠² तथा विमा [𝐌⁻¹𝐋³𝐓⁻²], G का मान 𝟲.𝟲𝟳✖𝟏𝟎⁻¹¹ 𝐍𝐦²/𝐤𝐠² दो वस्तुओ के बिच लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल दोनों वस्तु के द्रव्यमान गुणनफल के समानुपाती होता है तथा उनके बिच के दुरी के वर्ग के वयुक्तक्रमानुपाती होता है।   𝑭 = 𝐆𝐌₁𝐌₂ ➗ 𝐫² ➤ गुरुत्वीय त्वरण -   गुरुत्वाकर्षण बल के कारण उत्पन त्वरण को गुरुत्वीय त्वरण कहते है।  इसे g से दिखाते है।  इसका मान घटता-बढ़ता रहता है।  इसका मान 9.8 m/s² G तथा g में सम्बन्ध - 𝐠 = 𝐆𝐌𝑒 ➗ 𝐑²𝐞 जहां 𝑴𝐞 = पृथ्वी का द्रव्यमान , 𝑹𝑒 = पृथ्वी का त्रिज्या  → पृथ्वी की त्रिज्या लगभग 6400 km होती है किन्तु घ्रुवो पर इसका मान घट जाता है जिस कारण ध्रवों पर g का मान अधिक होता है।   →नोट- यदि पृथ्वी के त्रिज्या में x प्रतिशत का परिवर्तन

about torque/from basic/for 10th/12th/other exam/in hindi language/ physics

Image
  Click here for Biology बल आघूण(torque)-  जब किसी घूमने वाली वस्तु के परित बल लगाते है तो उसे बल आघूण कहते है।   जैसे - दरवाजा , हाथ से गाना का जूस निकलने का मशीन आदि।   torque(𝜏)= बल ✖ बलयुगन  भुजा ,  𝜏 = 𝙛 ✖ 𝙙 बलयुगन -   जब किसी धूमने वाले वस्तु के दोनों ओर से बल लगने लगे तो उसे बलयुगन कहते है।   जैसे - बढ़ई का वर्मा आदि।   By Prashant Click here for Biology

mass centre/from basic/for 10th/12th/other exam/in hindi language/physics

Image
  Click here for Biology द्रव्यमान केन्द(mass centre) -   वस्तु का वह केंद्र जहां उस वस्तु का समस्त द्रव्यमान कार्य करता है , द्रव्यमान केंद्र कहलाता है।   द्रव्यमान केंद्र सदैव निचे की ओर तथा बिच में होना चाहिए। यह निचे एव बिच में रहेगा तो ही वस्तु संतुलन के स्थिति में रहेगी।   द्रव्यमान केंद्र को बिच में लाने के लिए ही हम लोग -- → पानी से भरे बाल्टी उठाते समय व्यक्ति दूसरा हाथ हवा में खोल देता है।   → पहार पर चढ़ते समय व्यक्ति आगे की ओर झुक जाता है।   → बूढ़ा व्यक्ति आगे की ओर झुक कर चलता है।  → इटली की पिसा की मीनार झुकी हुई है क्योकि उसका द्रव्यमान केंद्र निचे है।   → बस के ऊपर व्यक्ति को खारा नहीं होने दिया जाता है क्योकि उसका द्रव्यमान केंद्र ऊपर की ओर चला जाता है।   By Prashant Click here for Biology

Work/energy /power/ from basic for 10th/12th/ all exam in hindi language/ physics

Image
  Click here for Biology कार्य(Work)-   बल तथा विस्थापन के अदिश गुणन को कार्य कहते है। 𝐖 = 𝐅𝐒𝙘𝙤𝙨𝜭 , जहां - 𝑭= बल , 𝑺= विस्थापन , 𝑾= कार्य इसका मात्रक 𝒌𝒈𝒎² / 𝒔² तथा विमा [𝐌𝐋²𝐓⁻¹] होता है। कार्य का मात्रक joule भी होता है , 𝐂𝐆𝐒 पद्धति में कार्य को आर्ग में मापा जाता है। 1joule = 10⁷ आर्ग ,     1आर्ग = 10⁻⁷ joule  ➤  यदि विस्थापन शून्य हो जाएगा तो कार्य भी शून्य हो जाएगा-- जैसे - दीवाल पर बल लगाने पर यदि दीवाल नहीं खिसका  ,  बोझा लेकर खड़ा हुआ कोई व्यक्ति  ,  समान लेकर उसी स्थान पर लौट आया कोई व्यक्ति  ,  इन तीनो स्थिति के कार्य शून्य होगा। यदि 𝜭 का मान 𝟵𝟬⁰ हो तो कार्य शून्य होगा --- जैसे - कुली द्वारा किया गया कार्य , किसी मजदूर द्वारा बोझ  लेकर सीढ़ी पर चढ़ना इन स्थिति में कार्य शून्य रहता है। ऊर्जा(energy) -   कार्य करने को क्षमता को ऊर्जा कहते है।  इसका मात्रक 𝐤𝐠𝐦² / 𝙨² तथा विमा [𝐌𝐋²𝐓⁻²] होता है। ऊर्जा कई प्रकार के होती है - गतिज ऊर्जा  ,  यांत्रिक ऊर्जा  ,  विधुत ऊर्जा  ,  रासायनिक ऊर्जा etc a) स्थितिज ऊर्जा(potential energy) -    अपने स्थिति के कारण उत्पन

about friction from basic in hindi language for 10th/12th/other exam. physics

Image
Click here for Biology   घर्षण(friction) -  घर्षण एक प्रकार का बल है जो हमेशा गति का विरोध करता है , जिस कारण यह गति के विपरीत कार्य करता है।   घर्षण के कारण मशीनों में घिसावट होती है और हम चल पाते है। घर्षण को कम करने के लिए कई उपाय है - 1) सर्पी घर्षण को लोटनी घर्षण में बदल दे  2) सतह पर पॉलिश कर दे  3) वस्तु को एक विशेष आकार प्रदान करना  4) सनेहक मिला देना , जैसे - मोबिल , ग्रीश , तेल , ग्रेफाइट , ग्रेसलीन , पाउडर , थूक आदि  नोट -  घर्षण बल के  तल के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता है बल्कि यह तल के प्राकृतिक पर निर्भर करता है।           - यदि तल ऊबर-खाबर(खुदरा)है तो घर्षण अधिक लगेगा।  बर्फ पर घर्षण कम होने के कारण चलना कठिन होता है।      गति > घर्षण  घर्षण के प्रकार - स्थैतिक घर्षण > सर्पी घर्षण > लोटनी घर्षण  घर्षण गुणाक -  इसे 𝞵 से दिखते है।  𝞵 का कोई भी विमा तथा मात्रक नहीं होता है।                𝙁 =   𝞵𝙍            or  𝞵 = 𝟊➗𝐑 , घर्षण गुणाक तथा घर्षण कोण में संबन्ध -  𝞵= tan𝞠 , 𝞠 = घर्षण कोण  घर्षण गुणाक के स्थिति में किसी वस्तु के रुकने में लगाया गया समय 𝙩 हो तथा वे

centripetal force/centrifugal force/criticle velocity/10th/12th/all exam/in hindi language physics

  Click here for Biology     अभिकेंद्र बल(centripetal force) -   किसी वस्तु को वृतिये पथ पर घूमने के लिए एक बलकी आवश्यकता होती है , जिसे अभिकेंद्र बल कहते है। यदि अभिकेंद्र बल का मान कम होगा तो वस्तु वृतीय पथ पर नहीं घूम पायेगी। अभिकेंद्र बल प्राप्त करने के लिए ही मोर पर सरक को घुमाओ के दिशा में झुका देते है। पृथ्वी को सूर्य का चककर लगाने के लिए अभिकेंद्र बल गुरुत्वाकर्षण बल के माध्यम से मिलती है।            𝑭 = 𝐦(𝐯)²➗𝐫      , 𝑭 = 𝒎(𝐫𝛚)² ➗ 𝒓   = 𝒎 𝒓² 𝝎²➗  𝐫                                                        𝐅= 𝐦𝐫𝛚²         अपकेंद्रीय बल(centrifugal force) -   वैसा बल जो केंद से बाहर कार्य करता है , अपकेंद्रीय बल कहलाता है। अपकेंद्र बल के कारण  washing machine , मक्खन निकलना  आदि काम करती है। वृतीय गति कर रहे किसी वस्तु का वेग स्पर्श रेखा की ओर कार्य कर रहा है जिस कारण रस्सी टूटने पर वस्तु स्पर्श रेखा की ओर चली जाती है। वृतिय गति कर रहे किसी वस्तु का त्वरण केंद की ओर कार्य करता है जिस कारण अभिकेंद्र बल भी केंद की ओर कार्य करता है।          क्रांति वेग(criticle veloc