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Showing posts from March, 2023

about धारा का उष्मीय प्रभाव/टंगस्टन/नाइक्रोम/आयरन/Iron/Tubelight/प्रतिदिव्पति नलिका /फ्यूज/from basic/for 10th/12th/ssc/railway/defence/other exam./physics-72

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  Click here for Biology ➤धारा का उष्मीय प्रभाव- 1) टंगस्टन- यह कम ऊष्मा तथा अधिक पकाश देता है। इसका प्रतिरोध तथा गलनांक दोनों ही उच्च रहता है।  टंगस्टन का प्रयोग बल्ब तथा tubelight में करते है।  बल्ब के फिलामेंट को गोल coil के रूप में लगाया जाता है। जिसे लम्बाई बढ़ जाता है, जिस कारण प्रतिरोध बढ़ जाता है।  2) नाइक्रोम- यह अधिक ऊष्मा तथा कम प्रकाश देता है। इसका प्रतिरोध तथा गलनांक दोनों ही उच्च होता है। इसका प्रयोग हीटर में करते है।  3) आयरन ( Iron)- इसका निचला भाग एस्वेस्टस का बना होता है, जिसके ऊपर अभ्र्क के चादर से ढकी हुई नाइक्रोम की तार होती है। अभ्र्क नाइक्रोम की ऊष्मा को एस्वेस्ट्स तक भेज देता है किन्तु धारा को नहीं भेजता है।  Iron (प्रेस) का बाहरी भाग बैकेलाइट का बना होता है। ( Handle) 4) Tubelight/प्रतिदिव्पति नलिका - इसके दोनों सिरों पर टंगस्टन का तार होता है। जिसके आगे वेरियम पारा-ऑक्साइड की लेप लगी होती हैं।  जब विधुत प्रवाहित किया जाता है तो टंगस्टन गर्म होता है और वह वेरियम पारा-ऑक्साइड से एलेक्ट्रॉन निकाल देता हैं।  जब ये एलेक्ट्रॉन tube में भरे पारा/आर्गन से टकराता है तो प

about Wheat Stone bridge/ओम का नियम/from basic/for 10th/12th/ssc/railway/other exam/physics-71

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  Click here for Biology ➤ Wheat Stone bridge- यह बहुत ही छोटे प्रतिरोध के लिए काम करता है। जब यह संचालित आवस्था में रहता है तो इससे धारा प्रवाहित नहीं होती, इसके मदद से अज्ञात प्रतिरोध को ज्ञात किया जा सकता है। इसका आकार समानांतर के समान होता है।  ➤ ओम का नियम - यदि किसी चालक की भौतिक अवस्था को न बदला जाय तो इसके विभावंतर एव उसमे प्रवाहित होने वाला धारा का अनुपात नियत रहता हैं।  R = V ➗ I  प्रतिरोध का मात्रक ओम/ वोल्ट/एम्पियर  ओम के नियम का ग्राफ एक सीधी रेखा प्राप्त होती हैं।  ओम का नियम DC Current पर लागु होता है। यह धात्विक चालकों पर लागु होता हैं।  अर्द्धचालक जर्मेनियम, सिलिकॉन, डायोड, ट्रायोड, ट्रांजिस्टर आदि पर ओम का नियम लागु नहीं होता है।  इनपर चाइल्ड लंगमुन का नियम काम करता हैं।   I = V³/² By Prashant

about विभवतर/Potential difference/धारामापी/शंट/Ammeter/प्रतिरोध /Resistance/चालकता /Conductance/श्रेणी (series)क्रम समायोजन/Parellel/from basic/physics-70

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  Click here for Biology ➤ विभवतर (Potential difference )- विभव में आने-वाले अंतर को विभवंतर कहते है। विभवंतर के कारण ही धारा प्रवाहित होती है। यदि विभव समान होगा तो उनके बिच का विभवंतर शून्य हो जाएगा और धारा नहीं जायेगा।  एक ऐसा पृस्ट जिसके सभी स्थान पर विभव समान हो उसे सम विभव पृस्ट कहते है। सम विभव पृस्ट पर धारा प्रवाहित नहीं होती है।  विभव को मापने के लिए Voltmeter का प्रयोग किया जाता है। Voltmeter को समानांतर क्रम में लगाया जाता है।  एक आदर्श Voltmeter का प्रतिरोध अनंत होता है।  ➤धारामापी ( G )- यह धारा के उपस्थिति को बताता है किन्तु धारा को मापता नहीं हैं।  ➤ शंट - शंट एक कम प्रतिरोध का पतला तार होता हैं।  ➤Ammeter- यह धारा को मापता है तथा उपस्थिति भी बताता हैं।  इसे श्रेणीं क्रम में जोड़ा जाता है।  एक आदर्श Ammeter का प्रतिरोध शून्य रहता है।  जब गलवानोमेटेर को समान्तर क्रम में निम्न प्रतिरोध का शंट जोर देते है तो Ammeter बनता हैं।  जब गलवानोमीटर को श्रेणी क्रम में उच्च प्रतिरोध का शंट जोर देते है तो वह वाल्टमीटर का कार्य करने लगता है।  ➤प्रतिरो ध ( Resistance  )- धारा के विरोध कर

about विधुत क्षेत्र की त्रिवता/विभव/Potential/विधुत द्विधुव/द्वी-ध्रुव आगून from basic/physics-69

  Click here for Biology ➤विधुत क्षेत्र की त्रिवता - इकाई आवेश पर लगने वाले बिधुत बल को त्रिवता कहते है।  E = F ➗Q  ➤विभव ( Potential )- इकाई आवेश को विधुत क्षेत्र के अंदर लाने में किया गया कार्य विभव कहलाता है।  V = W ➗ Q  ➤विधुत द्विधुव - दो समान किन्तु प्राकृत में भिंन आवेश जब बहुत कम दुरी पर रखी दुरी पर रखे रहते है तो उसे द्विधुव कहते हैं।  ➤द्वी-ध्रुव आगून - द्वि-धुव के एक आवेश तथा उनके बिच की दुरी के गुणनफल को द्विधुव आगून कहते है।  P = Q ❌ 2l  By Prashant

about विधुत बल रेखा/उदाशीन बिंदु /from basic/physics-68

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  Click here for Biology ➤ विधुत बल रेखा- किसी आवेश के चारो ओर विधुत क्षेत्र आ जाता है जिसे एक काल्पनिक रेखा द्वारा दर्शाया जाता है। जिसे विधुत बल रेखा कहते है।  ऋण आवेश पर लंबवत अंदर की ओर आती है जबकि धन आवेश पर विधुत बल रेखा लंबवत बाहर की ओर निकलती है। इसी कारण किसी बुलबुला को जब आवेशित किया जाता है तो उसका आकार बढ़ने लगता हैं।    ➤उदाशीन बिंदु- दो आवेश के बिच का वह क्षेत्र जहां दोनों में से किसी आवेश के बल को महसूस न किया जा सके उसे उदाशीन बिंदु कहते हैं।  q₁ ---------r-----------q₂ q₁➗ r₁² = q₂➗ r₂²  By Prashant

about /विधुत धारा/Electricity/आवेश/Charge/from basic/physics-67

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  Click here for Biology ➤ विधुत धारा ( Electricity )- विधुत एक प्रकार की ऊर्जा है जो इलेक्ट्रोन के प्रवाह के कारण उतपन्न होती हैं।  ➨आवेश ( Charge )- वह गुण जिसके कारण कोई वस्तु किसी दूसरी वस्तु का आकर्षण या प्रतिकर्षण करे उसे आवेश कहते है।  आवेशित कण की सबसे बड़ी विशेषता प्रतिकर्षण होती हैं।  वस्तुओ को आवेशित करने का सबसे पहला प्रयोग थेल्स नामक विद्वान ने दिया था। इन्होने कांच के छड़ को रेशम के टुकड़े पर जब रगरा तो कांच की छड़ में आकर्षण का गुण पैदा हो गया।  इन्होने कांच के छड़ के आवेश को धनात्मक माना था तथा रेशम पर उतपन्न आवेश को ऋणात्मक माना था।  आवेश का सबसे स्पष्ट व्यख्या बैंजामिन फैगलिन ने किया था। इन्होने ही धन आवेश तथा ऋण आवेश बताया।  बैंजामिन फैगलिन ने ताम्बे का तरित चालक बनाया। तरित चालक 10 हजार एम्पियर की धारा को झेल सकता हैं। इसी कारण इसे मोबाइल टावर के ऊपर लगाया जाता है क्योकि यह बिजली से उतपन्न आवेश को पृथ्वी में भेज देता हैं।  विजली करकने पर नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO) उतपन्न होती है।  स्थिर आवेश केवल विधुत क्षेत्र पर उतपन्न होती है जबकि गतिशील आवेश विधुत तथा चुंबकीय दोनों क्षेत्

about वस्तु का रंग/प्राथमिक रंग/द्वितीयक रंग/पूरक रंग/सुक्षमदर्शी/सरल सुक्षमदर्शी/संयुक्त सुक्षमदर्शी/from basic/for 10th/12th/ssc/raiway/other exam/physics-66

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  Click here for Biology ➤ वस्तु का रंग- कोई वस्तु जिस रंग को परावर्तित करती है वह उसी रंग की दिखती हैं।  सफेद दिखने वाली वस्तु सभी रंगो को परावर्तित कर देती है जिस कारण सफेद वस्तु में कम गर्मी लगती हैं।  जो वस्तु सभी रंगो को अवशोषित कर लेती है वह काले रंग की दिखती है। इसी कारण काले रंग के वस्तु में अधिक गर्मी लगती हैं।  ➨प्राथमिक रंग- वैसा रंग जिससे शेष रंगो को बनाया जा सके प्राथमिक रंग कहलाता है। TV में प्राथमिक रंग प्रयोग किया जाता हैं।  नीला, हरा, लाल  ➨द्वितीयक रंग- ये दो प्राथमिक रंगो को बराबर अनुपात में मिलाने के कारण बनता हैं।  ग्रीन ➕ ब्लू = cyan ( मोर colour ) रेड ➕ ब्लू = मैजेंटा  ग्रीन ➕ रेड = येलो  ➨पूरक रंग- वैसे रंग जिन्हे आपस में मिला देने पर सफेद रंग बन जाए उसे पूरक रंग कहते हैं।  रेड ➕ मोर कलर = वाइट  येलो ➕ ब्लू = वाइट  मैजेंटा ➕ ग्रीन = वाइट  नोट-  रंगो का यह नियम पेंट पर लागु नहीं होता हैं।  ➨अलग-अलग रंग के प्रकाश में वस्तु का रंग- कोई वस्तु स्वयं अपने रंग की तभी दिखेगी जब उसे या तो सफेद प्रकाश में दिखा जाये या तो उसे स्वयं के रंग के प्रकाश में देखा जाये।  ➤सुक्षमद

about मानव नेत्र रोग/Human eye disease/निकट दृष्टि दोष/Myopia/दूर दृष्टि दोष/Hyper-Metropia/जरा दृष्टि दोष/Presbiopia/अबिंदुकता/मोतिया बिन/वर्णान्धता/Colour Blindness/from basic/physics-65

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  Click here for Biology ➤मानव नेत्र रोग ( Human eye disease )- 1) निकट दृष्टि दोष ( Myopia )- इसमें लेंस की मोटाई बढ़ जाती है जिस कारण करीब की वस्तु दिखती है किन्तु दूर की वस्तु नहीं दिखती है क्योकि लेंस मोटा होने से फोकस दुरी घट जाती है।  इसके उपचार के लिए अवतल लेंस का प्रयोग करते है। आमतौर पर युवा आवस्था में चश्मा लगाया वह व्यक्ति इसी से ग्रस्त रहता है।  2) दूर दृष्टि दोष ( Hyper-Metropia )- इसमें नेत्र लेंस पतला हो जाता है जिस कारण दूर की वस्तु दिखती है किन्तु नजदीक की वस्तु नहीं दिखती है क्योकि पतले लेंस की फोकस दुरी अधिक होती है।  इसके उपचार के लिए उत्तल लेंस का प्रयोग करते है। यह बीमारी बहुत कम लोगो में देखी जाती हैं।  3) जरा दृष्टि दोष ( Presbiopia )- यह बीमारी बुढ़ापे में देखी जाती है। इसमें निकट तथा दूर दोनों की वस्तु नहीं देखी जाती है।  इसके उपचार के लिए by-focal लेंस ( द्वि-फिस्सी ) लेंस का प्रयोग करते हैं। जिसमे निचे की ओर उत्तल तथा ऊपर की ओर अवतल लेंस का प्रयोग करते हैं।  4) अबिंदुकता - इसमें व्यक्ति को क्षैत्रिज तथा उधरवात वस्तुओ में अंतर् स्पष्ट नहीं हो पाता है अथार्त वस्

about मानव नेत्र/Human Eye/Cornia/कोर्निआ/परितारिका/Irish/पुतली/Pupils/लेंस/Lens/रेटिना/from basic/for 10th/12th/ssc/railway/defence/other exam./physics-64

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  Click here for Biology ➤ मानव नेत्र ( Human Eye )- मानव का नेत्र उत्तल लेंस के भांति कार्य करता है। रेटिना कैमरा के फिल्म की भांति कार्य करती है।  ➨Cornia ( कोर्निआ )- यह आखो के सबसे बाहर की पतली झिली होती है। यह रक्त के सम्पर्क में नहीं रहता है। नेत्र दान के समय कोर्निआ दिया जाता है।  ➨परितारिका ( Irish )- यह आखो में जाने वाली प्रकाश के मात्रा को नियंत्रित करता है। इसके आधार पर आखो का रंग निधार्रित किया जाता है।  यह काला, नीला, तथा भूरा हो सकता है।  ➨ पुतली ( Pupils )- इसका रंग काला होता है क्योकि यह सभी रंग को अवशोषित कर लेता है।  ➨ लेंस ( Lens )- मानव नेत्र में उत्तल लेंस होता है। इसे 6 मासपेशिया पकरी रहती है जिन्हे Ciliary मासपेशिया कहते हैं।  ➨ रेटिना ( Retina )- यह आँख का पिछला भाग होता है। इस पर प्रतिबिम्ब बनता है। इसपर दो प्रकार की कोशिकाय पाई जाती हैं।  A ) Rod Cell-  यह प्रकाश की तीवता को बताती है अथार्त अंधेरा तथा प्रकाश का आभास करती हैं।  B ) शंकु कोशिका ( Conical Cell )-  यह वस्तु के रंग का ज्ञान देती हैं।   By Prashant

about इंद्रधनुष/Rainbow/प्राथमिक इंद्रधनुष/द्वितीयक इंद्रधनुष/from basic/for10th/12th/ssc/railway/defence/other exam/physics-63

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Click here for Biology   ➤ इंद्रधनुष  ( Rainbow )- जब सूर्य की किरणे वायुमंडल में रुके वर्षा के बूढ़ो पर परती है तो वह सात रंगो में बिखर जाती है और एक चाप का निर्माण करती है इसे रेनबो कहते है।  परावर्तन, पूर्ण आंतरिक परावर्तन तथा अपवर्तन के द्वारा रेनबो बनता है।  सुबह के समय रेनबो पश्चिम की ओर दिखेगा जबकि शाम के समय रेनबो पूरब की ओर दिखेगा। दोपहर के समय रेनबो नहीं बनेगा।  ➨ प्राथमिक इंद्रधनुष - इसमें बाहर की ओर अथार्त ऊपर में लाल रंग होता है, जबकि निचे की ओर अथार्त अंदर में बैगनी रंग होता है। इसे देखने के लिए बैगनी किरण आँख पर 40° 8' तथा लाल किरणे आँख पर 42° 8' का कोण बनाती है।  ➨द्वितीयक इंद्रधनुष - इसमें बैगनी रंग ऊपर होता है तथा लाल रंग निचे होता है। इसे देखने के लिए बैगनी रंग आँख पर 54° 52' तथा लाल रंग आँख पर 50° 8' का कोण बनाती हैं।  नोट-  प्राथमिक इंद्रधनुष में दो बार अपवर्तन व एक बार परावर्तन होता है जबकि द्वितीयक इंद्रधनुष में दो बार अपवर्तन और दो बार परावर्तन के द्वारा बनता हैं।  नोट - प्राइमरी रेनबो अधिक चमकीला होता हैं।  नोट-  रेनबो के निर्माण में सबसे महत्वपू

about प्रकाश का वर्ण विक्षेपण/प्रकीर्णन /रैले का नियम/प्रकाश का विवर्तन/प्रकाश का व्यक्तीकरण/प्रकाश का ध्रुवण/from basic/for 10th/12th/ssc/railway/defence/other exam/physics-62

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  Click here for Biology ➤ प्रकाश का वर्ण विक्षेपण - जब स्वेत प्रकाश को प्रिज्म से गुजारा जाता है तो वह अपने सात अवयवी रंगो में बट जाती है।  अपने मार्ग में सर्वाधिक बिचलित वैगनी रंग होती है अथार्त सर्वाधिक विखराव वैगनी रंग की होती है।  ➤ प्रकीर्णन ( Scattering )- प्रकाश जब धूल-कण पर पड़ता है तो वह कई दिशाओ में विखर जाता है। इस घटना को प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं।  ➤ रैले का नियम- इनके अनुसार प्रकीर्णन, तरंगदैध्र्य के चतुर्थघाट के व्युत्क्रम के समानुपाती होता है।  प्रकीर्णन  ∝ 1 ➗ λ⁴ ➨लाल रंग का तरंगदैध्र्य अधिक होने के कारण उसका प्रकीर्णन सबसे कम होता है, जिस कारण इसका प्रयोग खतरे के संकेत के लिए करते है।  ➨ चन्द्रमा से अंतरिक्ष यात्रियों को आसमान काला दिखेगा क्योकि वहा प्रकीर्णन नहीं होता है।  ➨ प्रकीर्णन के कारण ही पृथ्वी तथा आसमान का रंग नीला दिकता है।  ➨ प्रकीर्णन के कारण ही सूर्योदय एव सूर्यास्त के समय सूरज लाल रंग का दिखता है।  ➨ कांच का चूर्ण प्रकाश को प्रकीर्णित कर देता है जिस कारण वह चमकीला दिखता है और उससे अपवर्तन नहीं हो पाता है।  ➤ प्रकाश का विवर्तन ( Diffraction of light )

about lens/convex lens/lens formula/concave lens/power of lens/from basic/ssc/railway/defence/other exam/physics-61

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  Click here for Biology ➤लेंस ( Lens )- इसका दोनों सतह पादर्शी होता है। लेंस का प्रत्येक भाग प्रिज्म के भांति कार्य करता है। पतले लेंस की फोकस दुरी अधिक होती है अथार्त उससे दूर तक दिखाई देती है और मोटे लेंस की फोकस दुरी कम होती है अथार्त उससे कम दूर तक दिखाई देती हैं।  ➤ उत्तल लेंस ( Convex lens )- वैसा लेंस जिसका बिच का भाग उभरा हुआ हो तथा किनारे का भाग चपटा हो  उत्तल लेंस किरणों को समीप लाता है अत यह अभिसारी होता है। जिस कारण यह करीब के वस्तु को देखने के काम में आता है। इसकी फोकस दुरी तथा क्षमता दोनों ही धनात्मक होती हैं।  दूर द्रिष्टि दोष को ठीक करने के लिए उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता हैं।  माइक्रोस्कोप में उत्तल लेंस लगा होता है।  मानव नेत्र उत्तल लेंस के भांति कार्य करता है।  पानी का बुलबुला उत्तल लेंस के भांति दिखता है किन्तु अवतल लेंस के भांति कार्य करता हैं।  प्रज्वलक कांच के रूप में उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता हैं।  नोट-  जब वस्तु फोकस व ध्रुव के में रहती है तो उस स्थिति में उत्तल लेंस से बना प्रतिबिम्ब आभासी तथा सीधा होगा , शेष परिस्थितियों में प्रतिबिम्ब वास्तविक तथा

about refraction/condition of refraction/critical angle/total internal reflection/condition of total internal reflection/from basic/for all exam/physics-60

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  Click here for Biology ➤ अपवर्तन (Refraction )- जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो वह अपवर्तन कहलाता है।  जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती है तो उसका तरंगदैध्र्य तथा वेग बदल जाती है किन्तु उसकी आवृति नहीं बदलती हैं।  ➤अपवर्तन के लिए शर्त - 1) आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा अभिलम्ब तीनो एक ही ओर एक तल पर होता है।  2) जब प्रकाश बिरल माध्यम से सघन माध्यम में जाता है तो अभिलम्ब की ओर झुक जाता है।  3) जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से बिरल माध्यम की ओर जाती है तो अभिलम्ब से दूर हट जाती है।  4) आपर्तित किरण की जया तथा अपवर्तित किरण की जया का अनुपात नियत होता है और वह अपवर्तनांक ( Refractive Index ) 𝖀 के बराबर होता है।  ➨ sin i ➗ sin r = 𝖀 (स्नेल का नियम ) ➨𝖀 = निर्वात में प्रकाश की चाल (c ) ➗ माध्यम में प्रकाश की चाल (v ) ➨ माध्यम =      निर्वात , हवा , जल , कांच , हिरा                              ↧         ↧        ↧       ↧         ↧ ➨अपवर्तनांक =     0      ,1.008, 4➗3, 3➗2, 2.42  ➨निम्नलिखित घटनाए अपवर्तन के कारण होती है-  1) आसमान में तारो का टिमटिम

about convex mirror/use of convex mirror/magnification/from basic/for 10th/12th/ssc/railway/armay/other exam./ physics-59

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  Click here for Biology ➤ उत्तल दर्पण ( Convex mirror )- वह दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ उठा हो उत्तल दर्पण कहलाता हैं।  उत्तल दर्पण के सामने वस्तु कहि पर भी रखी हो तो प्रतिबिम्ब सदैव वस्तु से छोटा, आभासी, सीधा तथा दर्पण की ओर बनेगा।  → उत्तल दर्पण की विषेशता - 1) यह किरणों को फैला देता है अतः अपसारी ( diversing ) होता है।  2) इसकी फोकस दुरी सदैव धनात्मक होता हैं।  3) यह प्रतिबिम्ब को सीधा तथा छोटा बनाता है।  4) यह बहुत बड़ी वस्तु को छोटा कर देता है जिस कारण इसका प्रयोग गाड़ियों के side-mirror के लिए करते हैं।  5) यह किरणों को फैलाता है जिस कारण इसका प्रयोग सड़क के किनारे भेपर लाइट के रूप में प्रयोग करते हैं।  6) सोडियम परावर्तक लैप में प्रयोग करते हैं।  7) इसकी आवर्धन क्षमता सदैव एक से कम रहता हैं।  → आवर्धन ( Magnification )- प्रतिबिम्ब की लम्बाई तथा वस्तु की लम्बाई के अनुपात को आवर्धन कहते हैं।  M  = ー V ➗ U  नोट-  यहां  V तथा U के आगे घनात्मक तथा ऋणात्मक चिन्ह दर्पण के अनुसार लगेगा।  By Prashant

about concave mirror/condition of concave mirror/how to make picture when reflection on concave mirror of any objects on pole/center/focus/from basic/physics-58

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  Click here for Biology ➤ अवतल दर्पण से प्रतिबिम्ब बनाने के लिए शर्त  ➤( Condiation of Cancave Mirror)- 1) किरणों को हमेशा बाई ओर से  लगाए।  2) अनंत से आने वाली किरण मुख्य अक्ष से समानांतर आती हैं।  3) प्रतिबिम्ब बनाने के लिए किन्ही दो किरणों की आवश्यकता होगी।  4) एक किरण को मुख्य अक्ष के समान्तर लाएंगे तथा दूसरी किरण को ध्रव पर लाएंगे।  5) अक्ष के ऊपर बनने वाला प्रतिबिम सीधा तथा निचे बनने वाला उल्टा होता हैं।  नोट -1) जब प्रतिबिम्ब केंद व पोल के बिच बनेगा तो वह छोटा बनेगा।  2) जब प्रतिबिम्ब वक्रता केंद पर बनेगा तो वस्तु के बराबर बनेगा।  ३) जब प्रतिबिम्ब वक्रता केंद तथा अनंत के बिच बनेगा तो वह वस्तु से बड़ा बनेगा।  1) जब वस्तु अनंत पर है तो उसका प्रतिबिम्ब -  इस स्थिति में प्रतिबिम्ब बिंदुवत(छोटा), वास्तविक, उल्टा, तथा फोकस पर बनता हैं।  2) जब वस्तु अनंत तथा वक्रता केंद के बिच हो तो-  इस स्थिति में प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा, वस्तु से छोटा तथा फोकस व वक्रता केंद के बिच बनता हैं  3) जब वस्तु वक्रता केंद पर हो तो -  इस स्थिति में प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा, वस्तु के बराबर तथा वक्रता केंद

about parts of spherical mirror/spherical mirror of parts/from basic/for10th/12th/ssc/railway/other exam/ physics-57

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  Click here for Biology ➤ गोलिये दर्पण के भाग ( Parts of Spherical Mirror)- 1)  घ्रुव (Pole, P )- गोलीय दर्पण के बिच के भाग को ध्रुव कहते है, ध्रुव हमेशा दर्पण पर रहता है. 2)  वक्रता केंद (Centre of Curvature,C)- गोलीय दर्पण जिस दर्पण का भाग होता है उसका केन्द दर्पण का वक्रता केंद्र कहलाता हैं 3)  वक्रता त्रिज्या (Radius, R)- केंद्र से ध्रुव की बिच की दुरी को वक्रता त्रिज्या कहते हैं 4)  दुरी (Focus)- वक्रता त्रिज्या के आधी लम्बाई को फोकस दुरी कहते हैं/    f = R ➗ 2  →  वस्तु को हमेशा बाई ओर रखते है, पोल से वस्तु की दुरी को ሀ कहते है ሀ सदैव ऋणात्मक होता है/ →  प्रतिबिम्ब की दुरी को V से दिखाते है, वास्तविक प्रतिबिम्ब के लिए V ऋणात्मक जबकि काल्पनिक प्रतिबिम्ब के लिए V धनात्मक होता है/ →  अवतल दर्पण के लिए फोकस दुरी ऋणात्मक होती हैं/  ➤ दर्पण के लिए सूत्र =   By Prashant